Wednesday 17 October 2012

दुर्गासप्तशती के चमत्कारी होने की वजहें




जगतजननी दुर्गा आद्यशक्ति पुकारी जाती हैं। शास्त्रों के मुताबिक आद्यशक्ति जगत के मंगल के लिए कई रूपों में प्रकट हुईं। देवी शक्ति के मुख्य रूप से तीन रूप जगत प्रसिद्ध है - महादुर्गा, महालक्ष्मी और महासरस्वती। वहीं नवदुर्गा, दश महाविद्या के रूप में भी देवी के अद्भुत और चमत्कारिक स्वरूप पूजनीय है। 


देवी उपासना सांसारिक जीवन के सभी दु:ख व कष्टों का नाश कर अपार सुख देने वाली मानी गई है। इन सभी रूपों की उपासना शक्ति साधना के रूप में भी प्रसिद्ध है। इसके लिए अनेक धार्मिक विधान, देवी मंत्र, स्त्रोत व स्तुतियों का बहुत महत्व बताया गया है। 

इसी कड़ी में नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का पाठ के जरिए जगतजननी के कई शक्तिस्वरूपों की भक्ति बहुत मंगलकारी और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्रदान करने वाली मानी गई है। यही वजह है कि दुर्गासप्तशती और उसका हर मंत्र चमत्कारिक भी माना जाता है। इसके अलावा तस्वीरों पर क्लिक कर जानिए वे 4 खास वजहें भी, जिनसे दुर्गासप्तशती पाठ का चमत्कारी और मंगलमय प्रभाव होता है- 

  • दुर्गासप्तशती मार्कण्डेय पुराण का अंग है, जो वेदव्यास द्वारा रचित पवित्र पुराणों में एक है। श्रीव्यास भगवान विष्णु के अवतार माने गए हैं।
  • मार्कण्डेय पुराण में दुर्गासप्तशती के रूप में मार्कण्डेय मुनि द्वारा संपूर्ण जगत की रचना व मनुओं के बारे में बताते हुए जगतजननी देवी भगवती की शक्तियों की स्तुति की गई है।
  • इसमें देवी की शक्ति व महिमा उजागर करते सात सौ मंत्रों के शामिल होने से यह सप्तशती नाम से पुकारी जाती है। इसमें देवी की 360 शक्ति स्वरूपों की स्तुति है।
  • दुर्गासप्तशती के मंगलकारी होने के पीछे धार्मिक दर्शन है कि जगतपालक विष्णु द्वारा स्वयं भगवान वेद व्यास के रूप में अवतरित होकर शक्ति रहस्य उजागर किया गया है। दूसरा इसमें शामिल पद्य संस्कृत भाषा में रचे गए हैं। संस्कृत देववाणी कहलाती है। देव कृपा व प्रसन्नता के लिए ही तपोबली महान मुनि और ऋषियों द्वारा इस भाषा का उपयोग कर देव साधनाओं के लिए दुर्गासप्तशती के साथ अन्य देव स्तुतियों और स्त्रोतों की रचना की गई। इसलिए ऋषि-मुनियों की ये स्तुतियां देववाणी के साथ तप के प्रभाव से संकटनाश व अनिष्ट से रक्षा के लिए बहुत असरदार मानी गई है। यही कारण है कि श्री वेदव्यास रचित मार्कण्डेय पुराण व उसमें शामिल दुर्गासप्तशती भी देव शक्तियों और तप के शुभ प्रभाव से भक्त के लिये मंगलकारी तो होती ही है, साथ ही यह हर कामनासिद्धी का अचूक उपाय भी माना गया है।
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